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                                                                                                                                                                                         अभिव्यक्ति
                                                   एक माँ                                                                                            (गुरु)अमरदाि र्ी ने पा्ा अमर पद




                                                      एक गरीब पररवार में एक िुंदर िी
                                   बेटी ने र्नम सल्ा। बाप दुिी हो ग्ा। बेटा पैदा होता
                                   तो कम िे कम काम मे तो हार् बटाँता। उिने बेटी को                                                   (गुरु अमरदािर्ी पुण्सतसर् :- ६ सितंबर)             िमत् बीता। एक बार बीबी अमरो ‘र्बुर्ी िासहब’ का पाठ कर
                                   पाला र्रूर मगर ददल िे नही।                                                                                    सिि धम्ष के आददगुरु नानकदेवर्ी के बाद   रही र्ी। वह तो रोर् पाठ करती र्ी, लेदकन उि ददन उिका पाठ
                                       र्ब वह पढ़ने र्ाती तो न ही सकूल में फ़रीि िम्                                                   उनकरी गद्ी पर बैठे र्े, गुरु अंगददेवर्ी। अंगददेवर्ी   अिर कर ग्ा। अमरदाि र्ी
                                   पर र्मा करता न ही कापी, दकताबों पर ध्ान देता।                                                                                                        बीबी अमरो के चरनों मे र्ा बैठे, मानों वहाँ परमातमा करी कोई
                                   अकिर दारू पी कर घर मे कोहराम मचाता। लेदकन उि                                                      करी बेटी, बीबी अमरो करी शादी सर्िके िार् हुई       वववसर्ा काम कर रही र्ी। र्ो बीर् सवकसित होने को होता है
                                                                                                                                     र्ी, उिके चाचा का नाम र्ा अमरदाि। अमरदाि
                                   लड़करी करी माँ बहुत अचछी र्ी।  वह अपनी बेटी को बड़े                                                 भगवान को तो मानते र्े, हर िाल तीर््ष करते और       उिको पृरवी, र्ल, हवाएँ, िाद िभी मदद करते है। लेदकन र्ो
                                   लाड़ प्ार िे रिती र्ी। वो पसत िे छुपा छुपा कर बेटी                                                 गंगा में नहाने भी र्ाते र्े, लेदकन उनहें िदगुरु करी   बीर् िेका हुआ है उिको करौन मदद करेगा? ऐिी ही र्ो ्ोग् है
                                   करी फ़रीि र्मा करती र्ी। उिका पसत घर िे कई ददनों                                                   दीक्ा नही समली र्ी। २१ बार गंगा स्ान दक्े। बड़ी     उिको ही प्रकृसत मदद करती है। अमरदाि र्ी
                                   तक गा्ब रहता र्ा। वक्त का पसह्ा घूमता ग्ा। बेटी                                                                                                      ने भर्न दक्ा र्ा तो मदद हो ग्ी, प्रेरणा समल ग्ी। ‘र्पुर्ी
                                   धीरे धीरे िमझदार होती गई। दिवीं कक्ा में प्रवेश                                                   उम्र के तो हो गए लेदकन बड़ी िमझ देने वाले दकिी                  िासहब’ के पाठ को िुनकर अमरदाि र्ी का रोम
                                                                                                                                     िदगुरू के नही हो पाए र्े।
                                   होना र्ा। माँ के पाि इतने पैिे नही र्े दक प्रवेश ददला                                                                                                                रोम र्ागृत हो ग्ा।
                                   िके। बेटी डरते डरते पापा िे बोली, ‘पापा मेरा प्रवेश                                                            एक बार अमरदाि jI                                                 उनहोंने बीबी अमरो को कहा :- अंगद
                                   करा ददर्ीए’। बाप आगबबूला हो ग्ा और सचललाने                                                        करी मुलाकात गंगा स्ान  करी                                                 देव र्ी गुरु है, आपके सपता है। आप मेरे
                                   लगा बोला, ‘तू दकतना भी पढ़-सलि ले तुझे चरौका-                                                                                                                                   सलए उनिे र्ोड़ी सिफाररश  कर दो,
                                   चूलहा ही िंभालना है। क्ा करेगी पढ़-सलि के?’ उि                                                     ्ात्ा के दरौरान  एक बार िे                                                    मुझे अपना सशष् बना ले, िीि दे
                                                                                                                                     हो ग्ी। अमरदाि र्ी उनहें
                                   ददन उिने बहुत आतंक मचा्ा िबको मारा पीटा। बेटी                                                     आओए घर मे ले आ्े और                                                            दे रब को पाने करी।
                                   ने िोच सल्ा अब िे पढ़ाई नही करेगी। एक ददन उिकरी                                                    भोर्न करने के सलए कहा।                                                               बीबी अमरो ने कहा :- वे मेरे
                                   माँ बार्ार गई र्ी। बेटी ने पूछा तो कहा कल तेरा प्रवेश                                             पंसडत ने पूछा, “तुमहारे गुरु                                                    सपता र्े र्ब तक वे गुरु गद्ी पर
                                   कराउंगी। बेटी ने कहा- नहीं माँ मैं नही पढूंगी मेरी                                                                                                                                नही बैठे र्े। अब वे मेरे सपता
                                   वर्ह िे तुमहें दकतनी परेशानी उठानी पड़ती है। पापा                                                  करौन है? िदगुरु करौन है?”                                                       नही है, गुरुर्ी है। मैं प्रार्ना कर
                                                                                                                                     अमरदाि र्ी बोले, “मेरी
                                   भी तुमहें मारते पीटते है। कहते कहते रोने लगी। माँ ने                                              गुरु तो गंगामाई है।” “्ह                                                        िकती हँ लेदकन पुत्ी करी तरह
                                   उिे गले लगाकर कहा मैं बार्ार िे पैिे लाई हँ, तुमहारा                                              तो ठीक है लेदकन तुमहारे                                                         आग्ह नही कर िकती। आप-हम
                                   दािला कराउंगी। माँ के िमझाने पर बेटी मान गई।                                                      िदगुरु करौन है?” “िदगुरु                                                       उनके पाि चलते है, अगर प्रार्ना
                                   दिवीं मे प्रवेश हुआ। माँ भी बहुत मेहनत करके बेटी को                                                                                                                              सवीकार हो र्ाएगी तो आपको
                                   पढाने लगी। बेटी भी माँ करी ऐिी मेहनत देिकर ददन                                                    .....?”                                                                       दीक्ा समल र्ा्ेगी।
                                                                                                                                     भक्त :- कोई मानव िीधा
                                   रात मन लगाकर पढने लगी।                                                                            नरक िे आता है, कोई िीधा                                                           गुरु अंगद देव र्ी ने अमरदाि
                                                 ददन सबतते गए। उिका बाप बहुत शराब                                                    पशु ्ोसन िे, तो कोई िीधा सवग्ष                                            र्ी करी ्ोग्ता के अनुिार उिको
                                   सपने लगा। उिे रट.बी हो ग्ा। र्ब ददन वह सबमारी                                                     िे आता है। अपने सवर् मे मनमानी                                         िाधना बता दी। अमरदाि र्ी को अमर
                                   के हालत में २ ददन िे बेहोश पड़ा र्ा। कुछ लोग उिे                                                                                                                      पद करी प्रासप् र्ोड़े िम् में ही हो ग्ी। ६२
                                   असपताल में लेकर आए। र्ब उिने आँि िोली तो देिा                                                     िाधना करेंगे तो मन कभी इधर ले र्ा्ेगा,                     िाल करी उम्र में दीक्ा ली और ऐिे ्ोग् हो गए दक गुरु
                                                                                                                                     कभी उधर ले र्ा्ेगा। र्ैिे सवद्ार्जी करी ्ोग्ता
                                   िामने र्ो डॉकटर िडी र्ी वो उिकरी बेटी र्ी। वह                                                     देिकर सशक्क ठीक ढंग िे पढता है और सवद्ार्जी        अंगद देव र्ी ने उनको कहा, “अब तो गुरु नानक देव र्ी करी इि
                                   बहुत रोने लगा और कपडें िे अपना मुह छुपाने लगा।                                                    ततपरता रिता है तो वह सवविान हो र्ाता है। ऐिे       पसवत् गद्ी को िंभालने के सलए आप र्ैिा कोई पुरूर नही है।”
                                   बाप शम्ष के मारे पानी पानी हो ग्ा। और हार् र्ोडकर                                                 ही सशष् करी ्ोग्ता करौन िे ढंग करी है ्ह अनुभव     गुरु अंगद देव र्ी ने अमरदाि र्ी को गद्ी िरौपी। गुरु नानक देव
                                   बोला, ‘मुझे माफ कर दो मैं तुमहें िमझ नहीं िका।’                                                                                                      र्ी करी गद्ी पर तीिरे गुरु अमरदाि र्ी हुए।
                                   दोसतों बेटी आसिर बेटी होती है। बाप को रोता देिकर                                                  करने वाले िदगुरु मंत्दीक्ा देते है और सशष्
                                                                                                                                     आज्ापालक है तो वह सशष् िदसशष् होकर ित्
                                   उिे गले िे लगा सल्ा। एक ददन बेटी मँ िे बोली, ‘माँ                                                 का अनुभव कर लेता है। तुमने अपने र्ीवन में िदगुरु
                                   तुमने आर् तक नहीं बता्ा दक, मेरे हा्सकूल के सलए                                                   नही सलए? तुमहारे पाि दकनही िदगुरु का मंत् नही
                                   पैिे कहा िे लाई र्ी?’                                                                             है क्ा?
                                              बेटी के बार बार पुछने पर माँ ने बता्ा, उिे
                                   िुनकर बेटी करी रुह काप उठी। माँ ने अपने शरीर का                                                   अमरदािर्ी :- ्ह िब तो मुझे पता नहीं र्ा।
                                                                                                                                     भक्त :- अरे.! मुझे ्ह िब पहले बताते तो तुमहारे घर
                                   िून बेचकर बेटी का प्रवेश करा्ा र्ा।                                                               पर ठहरता ही नही।
                                                                                        अंर्नी गुप्ा                                                                                                                      सहतेश पुरोसहत
                                                                                      प्रर्म वर्ष बी.ए                                            भक्त अपनी झोली लेकर चलता बना।                                           प्रर्म वर्ष बी.ए



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