Page 2 - my poem 2
P. 2

ै
                                          य ूँ ही चलता  जाता ह


                                                                   ॊ
                                                               ें
                                          ननत्म योि हभ हसाता ..रुराता
                                                         ै
                                          ििन्दगी ह... फस चरता जाता ह
                                                                                          ै
                                                   ॊ
                                          एक ध ध से ननकर.. उजार की ओय
                                                                                 े
                                          योि ननत  नए.. सऩने फ नता जाता ह
                                                                                               ै


                                                       े
                                          हौसरा  दता ह ...  िो उड़ता    ऩॊछी
                                                              ै
                                                                     े
                                                                                            ै
                                          हय स फह  जो  नतनक   रकय  जाता ह
                                                                           े
                                          ऐसा रगता भानो   सूयज से मभरकय
                                          िह  प्रेभ प्रकाश  र आता ह..
                                                                   े
                                                                                ै

                                                                                           ै
                                          कबी रुका नही.. ना रुक सकता ह
                                                                                       ै
                                                      ै
                                          जीिन ह ...फस चरता जाता ह..
                                                          ै
                                          जो आज ह.. िो   कर  क्मा होगा
                                          मे   याि तो   ..सभम  ही  फतराता ह                ै

                                                                                            ै
                                          सच..  जीिन   मूॉ  ही चरता जाता ह।


                                                       ...विजमिभाा ..
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