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म ॉ ही चरता जाता ह
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ननत्म योज़ हभ हसाता ..रुराता
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ज़ज़न्दगी ह... फस चरता जाता ह
एक ध ध से ननकर.. उजार की ओय
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योज़ ननत नए.. सऩने फ नता जाता ह
हौसरा दता ह ... वो उड़ता ऩॊछी
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हय स फह जो नतनक रकय जाता ह
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ऐसा रगता भानो स यज से मभरकय
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वह प्रेभ प्रकाश र आता ह..
कबी रुका नही.. ना रुक सकता ह
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जीवन ह ...फस चरता जाता ह..
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जो आज ह.. वो कर क्मा होगा
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म याज़ तो ..सभम ही फतराता ह
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सच.. जीवन म ॉ ही चरता जाता है।
...ववजम वभाा ..

