Page 8 - my poem 2
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                                  वाह र ख्वाब





                                                                                           ै
                                  वाह र  ख्वाब.. तेरी दास्तान भी अजीब ह,
                                          े
                                  हकीकत से पर  खूबसूरत  दुननया ददखाती हो
                                                      े

                                  फटी सी खाऱी खाऱी झोऱी को मेरी ..


                                  उम्मीदों की रोशनी से भर दतीीं हो,
                                                                           े

                                  थकी हारी इस ज़िन्दगी को ..


                                  जीने की नई उमींग भर दती हो,
                                                                      े

                                  तू सच्चा नही झूठा ही सही..


                                  पर तू ज़िन्दगी झक्कास कर दती हो..
                                                                              े

                                  ......ज़िन्दगी झक्कास कर दती हो..
                                                                          े

                                                 .....   ववजय वमाा
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