Page 90 - Synergy 17-18
P. 90
MINDSPACE
अभिव्यक्ति
बाररश र्ब आती है मेरी माँ |
एक वो ही तो है, र्ो मुझे िमझती है।
िुद दद्ष में होकर भी, वो मुझे िुश रिती है।
बाररश र्ब आती है
ढेरों िुसश्ां लाती है मेरे हर कदम पे, मेरे िार् रहती है।
वो ही तो एक है, र्ो मेरा ख्ाल रिती है।
प्ािी धरती करी प्ाि बुझाती है वो कोई और नहीं मेरी माँ है। र्ो मुझ िे प्ार करती है।
धुलों को उडाना बंद कर र्ाती है
समट्ी करी भीनी िुगंध फै लाती है मेरे आँिों में आँिू देि ले, तो वो भी रो पड़ती है।
मेरी हर मज़जी को, वो िमझ िकती है।
बाररश र्ब आती है एक मेरी माँ ही तो है, र्ो मुझ िे प्ार करती है।
ढेरों िुसश्ां लाती है
र्ब भी कहीं र्ाता हँ, वो हर वक्त मुझे ्ाद करती है।
कोई नहीं है इि के र्ैिा र्हाँ में, वो मेरी बहुत दफक्र करती है।
भीरण गमजी िे बचाती है इि दुसन्ा मे मेरी माँ ही है, र्ो मुझिे प्ार करती है...
सशतलता हमें दे र्ाती है
कोई मेरी परवाह करे न करे, वो मेरी परवाह करती है।
मुिलधार प्रहारों िे पतझड़ को भगाती है मेरे िीने में ददल है मेरा ,उि छोटे िे ददल में वो रहती है।
बहारों का मरौिम लाती है कोई मुझ िे प्ार करे न करे वो मेरी माँ ही है,
बाररश र्ब आती है र्ो मुझ िे प्ार करती है।
ढेरों िुसश्ां लाती है
चारों ओर हर्ाली फै लाती है
नदद्ों का पानी बढाती है
तालाबों कों भर देती हैं
बाररश र्ब आती है
ढेरों िुसश्ां लाती है
मोरों को नचाती है
पहाडों मे फू ल सिलाती है
बीर्ों िे न्े परौधे उगाती है
बाररश र्ब आती है
ढेरों िुसश्ां लाती है
ररतू बगाडे, िुनील शमा्ष,
तृती् वर्ष बी.ए सविती् वर्ष बी. कॉम (िी)
90 | SYNERGY 17-18 | GURU NANAK COLLEGE OF ARTS, SCIENCE & COMMERCE

