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जज़ॊदगी
जजॊदगी है एक सिायी की तयह
भॊजज़र है आसभान
जो इसे छ ू ने की चाहत यखे
उसे ही भभरता है सम्भान
जज़ॊदगी है एक नदी की तयह
जो रेती है कई भोड़
फॊधा है एक यस्सी से
देखो कहीॊ ट ू ट न जाए डोय
जज़ॊदगी है एक भशऺक की तयह
भसखाती है कई साये ऩाठ
कहती है,सुख औय दुख दोनों को
गरे रगा रे एक ही साथ
जज़ॊदगी है एक खेर के जैसी
जो जीता इसभे िही भसकॊ दय
ऩय न कबी कहना जो हाया
िो तो यह गमा है फॊदय !
स्िप्नाशीष गाएन
दसिीॊ अ

