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ककतना भोर यहा ?
चरना भुझको न आता था जफ , कॊ धे ऩय रेकय जाते थे
जफ गगय जाती थी सड़क ककनाये प ु सराने भुझको आते थे |
यॊग – बफयॊगे डब्फे भें िह ख्िाफ अनेक जुटाकय राते
फड़े प्माय से , बफठा ऩास भें एक रेभचूस भुझे खखराते |
चरा कयती थी फड़े ताि से फाफा – ऩोती की िह जोड़ी
फड़े शान से ,सीना तान के फाफा कहते ऩोती है भेयी |
आज रुप्त हो गई िह जोड़ी जीिन की होड़ा – होड़ी भें
ऩूयफ भें है ऩोती उनकी फैठे िह बायत के ऩजचचभ भें |
ऩोती को दोषा जाए मा फाफा की है गरती सायी ?
मा शामद ऩड़ गए ऩैसे रयचतों ऩय बायी |
आज ककतना है भोर यहा ,उन प्माये – प्माये रयचतों का ?
धन – िैबि की खार्तय है फस ियना तो है फोझ िह फूढ़ा |
उस विकास का क्मा भहत्ि है ?उस भशऺा का क्मा है भोर ?
जफ खो फैठे अऩनी सॊस्क ृ र्त ,खो फैठे आदशि अनभोर !
अहदर्त क ु भायी
फायहिीॊ –विऻान
नटखट गोऩार
भक्खन चुया भरमा तुभने ,तुभ हो वप्रम नॊदरार
गोवऩमों के भटके बी पोड़े
कहते हैं तुम्हें नटखट गोऩार

