Page 34 - Binder1
P. 34
4
और दूसर� पर इशारा करने से पहले
क्या अपने अंदर झाँकने क� चाहत है �कसी को?
इसी�लए आज मेरा यह �नवेदन है आप सबसे
ऐसे जड़ समाज को तुरंत ह� बदल� !
स्िजस्तका भाइती
दसिीॊ अ
िषाि आई !
िषाि आई,िषाि आई सॊग भें ढेयों खुभशमाॉ राई
हयी-हयी सफ घास रगाई ककसानों के घय उत्सि राई
िषाि आई, िषाि आई
कारे भेघों की फहाय राई
सूयजदादा को धूर चटाई
गभी से याहत हदराई
िषाि आई,िषाि आई
ऩेड़ों को प ू रों की भारा ऩहनाई
भभट्टी ने अऩनी खुशफू जगाई
ऩजत्तमों भें भोती सी फूॊदें चभकाईं
िषाि आई,िषाि आई

